वास्तु शब्द का अर्थ है, निवास करना (वस निवासो)| जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते हैं, उसे वास्तु कहा जाता है| वास्तु विद्या बहुत प्राचीन विद्या है| विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ त्रग्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है| चार वेदों से चार उपवेदों ने जन्म लिया तथा पांचवा उपवेद है स्थापत्य वेद यह स्थापत्य वेद ही समस्त वास्तु ज्ञान का स्त्रोत है| हमारे देश सहित विश्व में वास्तु शास्त्र पर अनगिनत ग्रन्थ उपलब्ध हैं तथा सभी की अपनी - अपनी उपादेयता है| प्रस्तुत पुस्तक एक सामान्य पाठक की वास्तु संबंधित जिज्ञासा एवं ज्ञान को परिपुष्ट करने के उद्देश्य से प्रकाशित हो रही है| यह भूखंड चयन प्रक्रिया से लेखर भवन निर्माण तथा भवन में निवास करने की मांगलिक अवस्था से लेखर पीढ़ी - पर्यन्त सुखी एवं सम्पन्न जीवन यापन की कला का दिग्दर्शन कराती है|इसमे निवास हेतु भवन, बहुमंजिला काम्प्लेक्स, मंदिर निर्माण, व्यावसायिक निर्माण यथा दुकान, कारखाना, ब्यूटी पार्लर, स्कूल/कॉलेज भवन. अस्पताल इत्यादि के निर्माण हेतु क्या क्या सावधानिय बरतनी चाहिए, पर्यावरण वास्तु जैसे पुष्प एवं वृक्ष, रंग एवं वास्तु, पशु - पक्षी एवं वास्तु, वास्तु दोष एवं उनके निवारण के उपाय इत्यादि अनेकों विषय अच्छी तरह से सुगम शैली में प्रतिपादित किये है| भारतीय वैदिक वास्तु के अतिरिक्त पाश्चात्य वास्तु, पिरामिड वास्तु एवं फैंगशुई वास्तु भी पुस्तक में शामिल किये गये है| एक और अनछुआ अंग वास्तु के संगर्भ में आवश्यकत ज्योतिष ज्ञान भी पाठकों को उपलब्ध कराकर पुस्तक को ऑल-इन-वन बनाने का प्रयास किया गया है| आशा है यह पुस्तक सामान्य जिज्ञासु पाठक वर्ग के साथ साथ वास्तु छात्रों, वास्तु अध्यापकों, वस्तुविदों, आर्कितेक्स इत्यादि के लिए भी संग्रहणीय संगर्भ ग्रन्थ बनेगी|
A Hindi Book On A to Z of Vastu (सरल हिन्दी में सम्पूर्ण वास्तु)
A Hindi Book On A To Z Of Vastu (Simple Vastu In Hindi) (Hindi)
₹300.00
ISBN | 9788179067376 |
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Name of Authors | Pandit Vinod Bihari Yajik |
Name of Authors (Hindi) | पण्डित विनोद बिहारी याजिक |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2019 |
Pages | 138 |
अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था परिसंघ, नई दिल्ली द्वारा "ज्योतिष - रत्न" एवं "वास्तु - रत्न" की उपाधियों से अलंकृत पण्डित विनोद बिहारी याजिक कर जन्म मेवाड़ धरा की उदयपुर नगरी में १३ अप्रेल १९४८ को हुआ| एमए एलएलबी, डीएलएल, कम्प्यूटर - आईटी इत्यादि विभिन्न विषयों में शिक्षित श्री याजिक राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के प्रतिष्ठान में उत्तरदायी पदों पर सेवारत रहते हुए नि:स्वार्थ समाजसेवा करते आये हैं| "एकोहं बहुस्याम: विप्र वंश वुन्यास" "राजस्थानी भाषा में व्रत कथा" जैसे विभिन्न विषयों में पुस्तक लेखन के पश्च्यात इनकी वास्तु शास्त्र पर प्रकाशित यह पुस्तक वास्तु शास्त्र की प्राय: प्रत्येक शाखा का सरल भाषा में सटीक वर्णन करती है जो वास्तुविदों, आर्किटेक्ट्स, वास्तु - अध्यापकों, विद्यार्थियों तथा सामान्य पाठकवर्ग के लिए भी एक उपयोगी संदर्भ ग्रन्थ है|
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