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A Hindi Book On A to Z of Vastu (सरल हिन्दी में सम्पूर्ण वास्तु)

A Hindi Book On A To Z Of Vastu (Simple Vastu In Hindi) (Hindi)

300.00

ISBN: 9788179067376
Categories:
ISBN 9788179067376
Name of Authors Pandit Vinod Bihari Yajik
Name of Authors (Hindi) पण्डित विनोद बिहारी याजिक
Edition 1st
Book Type Paper Back
Year 2019
Pages 138

वास्तु शब्द का अर्थ है, निवास करना (वस निवासो)| जिस भूमि पर मनुष्य निवास करते हैं, उसे वास्तु कहा जाता है| वास्तु विद्या बहुत प्राचीन विद्या है| विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ त्रग्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है| चार वेदों से चार उपवेदों ने जन्म लिया तथा पांचवा उपवेद है स्थापत्य वेद यह स्थापत्य वेद ही समस्त वास्तु ज्ञान का स्त्रोत है| हमारे देश सहित विश्व में वास्तु शास्त्र पर अनगिनत ग्रन्थ उपलब्ध हैं तथा सभी की अपनी - अपनी उपादेयता है| प्रस्तुत पुस्तक एक सामान्य पाठक की वास्तु संबंधित जिज्ञासा एवं ज्ञान को परिपुष्ट करने के उद्देश्य से प्रकाशित हो रही है| यह भूखंड चयन प्रक्रिया से लेखर भवन निर्माण तथा भवन में निवास करने की मांगलिक अवस्था से लेखर पीढ़ी - पर्यन्त सुखी एवं सम्पन्न जीवन यापन की कला का दिग्दर्शन कराती है|इसमे निवास हेतु भवन, बहुमंजिला काम्प्लेक्स, मंदिर निर्माण, व्यावसायिक निर्माण यथा दुकान, कारखाना, ब्यूटी पार्लर, स्कूल/कॉलेज भवन. अस्पताल इत्यादि के निर्माण हेतु क्या क्या सावधानिय बरतनी चाहिए, पर्यावरण वास्तु जैसे पुष्प एवं वृक्ष, रंग एवं वास्तु, पशु - पक्षी एवं वास्तु, वास्तु दोष एवं उनके निवारण के उपाय इत्यादि अनेकों विषय अच्छी तरह से सुगम शैली में प्रतिपादित किये है| भारतीय वैदिक वास्तु के अतिरिक्त पाश्चात्य वास्तु, पिरामिड वास्तु एवं फैंगशुई वास्तु भी पुस्तक में शामिल किये गये है| एक और अनछुआ अंग वास्तु के संगर्भ में आवश्यकत ज्योतिष ज्ञान भी पाठकों को उपलब्ध कराकर पुस्तक को ऑल-इन-वन बनाने का प्रयास किया गया है| आशा है यह पुस्तक सामान्य जिज्ञासु पाठक वर्ग के साथ साथ वास्तु छात्रों, वास्तु अध्यापकों, वस्तुविदों, आर्कितेक्स इत्यादि के लिए भी संग्रहणीय संगर्भ ग्रन्थ बनेगी|

अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था परिसंघ, नई दिल्ली द्वारा "ज्योतिष - रत्न" एवं "वास्तु - रत्न" की उपाधियों से अलंकृत पण्डित विनोद बिहारी याजिक कर जन्म मेवाड़ धरा की उदयपुर नगरी में १३ अप्रेल १९४८ को हुआ| एमए एलएलबी, डीएलएल, कम्प्यूटर - आईटी इत्यादि विभिन्न विषयों में शिक्षित श्री याजिक राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के प्रतिष्ठान में उत्तरदायी पदों पर सेवारत रहते हुए नि:स्वार्थ समाजसेवा करते आये हैं| "एकोहं बहुस्याम: विप्र वंश वुन्यास" "राजस्थानी भाषा में व्रत कथा" जैसे विभिन्न विषयों में पुस्तक लेखन के पश्च्यात इनकी वास्तु शास्त्र पर प्रकाशित यह पुस्तक वास्तु शास्त्र की प्राय: प्रत्येक शाखा का सरल भाषा में सटीक वर्णन करती है जो वास्तुविदों, आर्किटेक्ट्स, वास्तु - अध्यापकों, विद्यार्थियों तथा सामान्य पाठकवर्ग के लिए भी एक उपयोगी संदर्भ ग्रन्थ है|

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