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जनजातीय विकास मिथक एवं यथार्थता

Tribal Development Myth And Reality (Hindi)

495.00

ISBN: 9788179068946
Categories:
ISBN 9788179068946
Name of Authors Menu Walter
Name of Authors (Hindi) मीनू वाल्टर
Edition 1st
Book Type Hard Back
Year 2021
Pages 161

राजस्थान राज्य विविधताओं से भरा हुआ राज्य है| यह विविधता न केवल भौगोलिक द्रष्टि से ही है बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक द्रष्टि से भी है| इन्हीं विविधताओं जनसंख्यात्मक द्रष्टि से एक महत्वपूर्ण पक्ष जनजातियों का भी है| राजस्थान में मुख्य रूप से 12 जनजातीय समूह है जिनमे भील. मीणा, गरासिया, सहरिया व डामोर प्रमुख है| जनजातीय विकास की यथार्थता को समझने के लिए प्रस्तुत अध्ययन में मानवशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य का समावेश किया गया है और तुलनात्मक द्रष्टि से अध्ययन कर विकास के पैमाने को तलाशा गया है| राजस्थान के सभी जनजातियों का विकास स्तर समान हो यह सम्भव नहीं हैं, प्रत्येक समूह की अपनी पृथक पहचान व सांस्कृतिक हैं, उसी के आधार पर विकास के स्वरुप को समझ सकते है| प्रस्तुत पुस्तक में राजस्थान में जनजातीय विकास की यथार्थता का गहन अध्ययन किया गया है, जो विशेष रूप में भील जनजाति के संदर्भ में हैं| विकास में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के योगदान का निरपेक्ष अध्ययन किया गया है|

डॉ. मीनू वाल्टर सदैव विकास अध्ययनों के साथ में जुडी रही है अध्यापन व्यवसाय में आने से पूर्व समाज के उपेक्षित वर्गों के उत्थान व कल्याण के लिए कई गैर सरकारी संगठनों से जुडी रही है| इन्होंने चीन, फिलिपिन्स व बंगलदेश में उच्च स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त किया है| आपने जर्नादनराय नागर विश्वविद्यालय, उदयपुर से पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की और सन 1998 से राजस्थान के विभिन्न सरकारी महाविद्यालय में समाजशास्त्र के व्याख्याता के रूप में सेवाएँ डे रही है| वर्तमान में सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, अजमेर में समाजशास्त्र के सह-आचार्य पद पर नियुक्त है|

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