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घरेलू हिंसा से संरक्षण में अभिकरण की भूमिका

Role Of The Agency In Protection From Domestic Violence (Hindi)

795.00

ISBN: 9788179067932
Categories:
ISBN 9788179067932
Name of Authors Dr. Anila
Name of Authors (Hindi) डॉ. अनिला
Edition 1st
Book Type Hard Back
Year 2019
Pages 223

परिवार मानव समाज की मौलिक एवं सारभूत इकाई है तथा समाजीकरण की प्राथन पाठशाला है| ऐतिहासिक द्रष्टि से भारत में परिवार का बहुत महत्त्व रहा है| पश्चिमीकरण, नगरीकरण औघोगिकीकरण एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारन परिवार के सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन होता रहा है| सामाजिक परवर्तन के दौर में पारिवारिक सम्बन्धों में आये नकारात्मक परिवर्तनों एवं पुरुषो प्रधान सामाजिक व्यवस्था के कारन परिवार में घरेलू हिंसा की घटनाये बढ़ी हैं| महिला हिंसा एवं जेन्डर असमानता को ख़त्म करने के लिए भारतीय समाज में कई आन्दोलन हुए है, साथ ही साथ संवैधानिक प्रावधानों एवं अधिनियमों का निर्माण किया गया| सन 2005 से पूर्व महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा बढती चली गई| ऐसे माहोल में एक ऐसे अधिनियम की जरुरत महसूस की जाने लगी जिसमे महिलाओं को संरक्षण आदेश, निवास आदेश, धनीय अनुतोष. अभिरक्षा आदेश, प्रतिकर आदेश, जैसे प्रावधान एक ही प्रक्रिया से सुलभ हो संके| इसी भावना को ध्यान में रखते हुए घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की भारत के राजपत्र में 14.09.2005 को अधिसूचना प्रसारित की गई तथा इसकी नियमावली 17.10.2006 को प्रकाशित कर दी गई| इस अधिनियम के संदर्भ में प्रस्तुत पुस्तक के सैद्धान्तिक परिपेक्ष्य को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है तथा अधिनियम के क्रियान्वयन के संदर्भ में न्यायपालिका द्वारा दिए गये ऐतिहासिक निर्णयों के अर्थान्वयन भी पुस्तक में सम्मिलित किये गये है| प्रस्तुत पुस्तक में लेखक द्वारा घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के क्रियान्वयन में अभिकरणों की भूमिका के संदर्भ में व्यवहारिक पक्ष प्रस्तुत करने हेतु राजस्थान के संदर्भ में अनुसंधान के तथ्यों को सम्मिलित किया गया है| यह पुस्तक विधि, समाज शास्त्र, समाज कार्य, अपराध शास्त्र, राजनीती विज्ञान सहित समसामयिक विषयों में रूचि रखने वाले विद्यार्थियों, पाठकों, लेखकों एवं अनुसंधानकर्त्ताओं की समझ एवं ज्ञान को बढ़ाने तथा सैद्धान्तिक एवं व्यवहारिक सोच को विकसित करने में सहायक रहेगी|

डॉ.अनिला, विधि क्षेत्र में बारह वर्षो से अधिक समय से शिक्षण एवं शोध कार्य से जुडी है| वर्तमान में डॉ.अनिला, व्याख्याता, डॉ. अनुष्का विधि महाविद्यालय, उदयपुर के पद पर कार्यरत है| राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रीय सेमिनार एवं संगोष्ठियों में इन्होने विषय विशेषज्ञ के रूप में अपने अनेक उद्बबोधन एवं पत्रवाचन किये हैं| विधि के क्षेत्र में 18 से अधिक लेख राष्ट्रिय एवं अन्तराष्ट्रिय पत्र – पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके है| मुख्यतः नै दिशाए, राष्ट्रिय मानव अधिकार आयोग नहीं दिल्ली, समाज कल्याण, केन्द्रीय समाज कल्याण. भारत सरकार व राजभाषा विस्तारीक, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार में लेख प्रकाशित हुए है| लेखक ने घरेलू हिंसा सम्बन्धी विधि, एच.आई.वी/ एड्स से ग्रसित मरीजों के मानव अधिकार जैसे विषयों पर लेखन एवं अनुसंधान का कार्य किया है| डॉ अनिला द्वारा पीएच.डी. की उपाधि विधि संकाय, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से प्राप्त की गई तथा पोस्ट डॉक्टरल फैलोशिप (पी.डी.एफ.) भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा प्रदान कि गई| विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नेट अर्हता प्राप्त है|

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