लोक संगीत की स्वर लहरियां हमारे कानों में एक पारंपरिक मिठास घोल देती है| वर्षों से चले आ रहे लोक वद्यों, लोकगीतों और उनकी प्रस्तुतियों ने आदिवासी समाज के सात ही शहरी समाज से लेकर देश-विदेश तक लोक संगीत को स्थापित किया है| ऐसे दौर में जब लोक संगीत नए सिरे से अपनी नवीन आयाम स्थापित कर रहा है यह पुस्तक राजस्थान का लोक संगीत आपके हाथ में हैं| डॉ. रेणु श्रीवास्तव ने इस पुस्तक के जरिये पारम्परिक लोक संगीत के बारे में जो विस्तृत जानकारियां, उनका इतिहास तथा वाद्य यंत्रों के गठन की जो सचित्र जानकारी इस पुस्तक में प्रस्तुत की है वह संगीत प्रेमी पाठकों के लिए उप्रोगी साबित होगी| यूं तो लोक कलाओं और लोक संगीत पर ढेरों पुस्तकें उपलब्ध हैं जिनमे हमें विभिन्न प्रकार की जानकारियां हासिल होती है लेकिन यह पुस्तक भी उन्ही जानकारियों में इजाफा करेगी ऐसा मेरा विश्वाश है सात ही शोधार्थियों के लिए भी नई जानकारियों का जरिया साबित होगी| लोक वाद्य और लोक संगीत के परंपरागत तौर तरीकों पर तकनीक के इस नए दौर में निरन्तर शोध हो रहे हैं और उनमे लोक संगीत की व्यापकता और उसकी स्वीकार्यता को समझा गया है| पश्चिमी देशों में भी जहाँ वेस्टर्न और पॉप संगीत धाय रहा करता था वहां अब भारतीय लोक संगीत विशेषकर राजस्थानी लोक संगीत की पहचान और पूछ बड़ी है| इसका विशेष कारन है माटी की महक और संगीत का सहज सौंदर्य| इन्ही सभी बातों को लेकर लिखी गई यह पुस्तक राजस्थान के लोक संगीत को एक नई पहचान देगी और आशा है सुधि पाठकों के लिए उपयोगी साबित होगी|
राजस्थान का लोक संगीत
Rajasthan Folk Music (Hindi)
₹225.00
ISBN | 9788179068410 |
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Name of Authors | Dr. Renu Shrivastav |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. रेणु श्रीवास्तव |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2020 |
Pages | 76 |
Language | Hindi |
"नाम - डॉ. रेणु श्रीवास्तव शिक्षा - Ph.D. in Journalism & Mass Communication, M.J.M.C., M.A. (Hindi), B.J.M.C., B.A. अनुभव - आकाशवाणी कोटा में १९८८ से आकस्मिक उदद्योषिका के पद पर कार्य के साथ- साथ कोटा में आयोजित होने वाले विभिन्न समारोह एवं विभिन्न विश्वविद्यालय के विभिन्न सांस्कृतिक और शैषिक समारोह में संचालन का अनुभव| कोटा में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के दशहरा मेले के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रस्तोता के रूप में योगदान रहा है| वेब रेडियों एवं कम्युनिटी रडियो से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार कार्यक्रम बनाने में सहयोग के सात - सात दूरदर्शन राजस्थान एवं स्थानीय टी.वि के विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किये है| वेब रेडियो विषय पर दो पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है| "
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