इस पुस्तक में संविधान के अन्तर्गत राजस्थान के लिए सन 1950 में जरी प्रथम अधिसूचना से लेकर 2018 तक की प्रमुख अधिसूचनाओं को सम्मिलित कर सम्पादक ने अनुकरणीय कार्य किया है जो शासकीय विभागों, शेक्षणिक संस्थाओं, जनजाति समाज एवं समज्वेत्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होदा| अनुसिचित जनजातियों के बारे में अनुसंधान करने वाले शोधार्थियों को भी इस पुस्तक से एक दिशा बोध प्राप्त होगा| मेरा मत है की संस्थान की यह पुस्तक विभिन्न तथ्यों का निष्पक्ष रूप से प्रस्तुतकरण करेगी| चूंकि सत्य के कई आयाम है और सत्य स्वमे प्रकाशमान है| इसकी सतत खोज जीवन का ध्येय रहा है जिसके निमित्त संस्थान का यह दस्तावेज एकनिष्ठ होकर इमानदार प्रयास है जो सत्य की रह को और अधिक आसन बनाएगा|
अनुसूचित क्षेत्र में संवैधानिक प्रावधान
Constitutional Provisions In The Scheduled Area (Hindi)
₹350.00
ISBN | 9788179067871 |
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Name of Authors | Dr. Rajni P Rawat |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. रजनी पी. रावत |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2019 |
Pages | 319 |
Language | Hindi |
डॉ. रजनी पी. रावत, श्री मेवाड़ – वागड़-मालवा जनजाति विकास संस्थान, उदयपुर की कार्यकारणी सदस्य है| पिता के राज्य सेवा से होने के कारन आरम्भिक शिक्षा राजस्थान के विभिन्न जिलों में प्राप्त कर अपने मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर से कला संकाय (इतिहास एवं लोक प्रशासन) में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर, इतिहास विभाग (मो.ला.वि.वि., उदयपुर) से “19वीं और 20वीं शताब्दी में जनजाति महलाओ के सामाजिक – संस्कृतिक परिवर्तन का समालोचनात्मक अध्ययन (राजस्थान का जनजाति उपयोजना क्षेत्र)” विषय पर सन 2015 में पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की| अध्ययनशील स्वाभाव के निमित्त सन 2001 में पत्रकारिता में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम भी प्राप्त किया| उच्च शेक्षणिक उपलब्धियों के आधार पर आपको विश्वविद्यालय एवं जनजाति क्षेत्रीय विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित किया गया| श्री मेकाद – वागड़ – मालवा जनजाति समाज द्वारा प्रतापगड जिला स्तरीय शिक्षक गौरव सम्मेलन के संदर्भ में प्रतापगढ़ जिले की शिक्षा की दिशा व दशा पर “शिक्षा का शंखनाद (2015) और ‘शिक्षा का फिर शंखनाद (2017) नामक शोधपत्र तैयार किये गये| आप विस्व्हविद्यालय अनुदान आयोग के वृहत शोध प्रबन्ध के शोधकार्य में दो वर्ष तक प्रोजेक्ट फेलो भी रही है| संबंद्ध संस्थान की वार्षिक स्मारिका “उडान – एक प्रेरणा” तथा राष्ट्रिय संगोष्ठी के निष्कर्ष रूप में प्रकाशित ग्रन्थ” आदिवादी समाज, संस्कृति और साहित्य” के सम्पादक मण्डल की सदस्य रही है| इसके अतिरिक्त देश - विदेश से प्रकाशित – संपादित पुस्तकों, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में आपके कई लेख एवं कविताएँ प्रकाशित हुई है| अखिल विश्व गायत्री परिषद्, श्री सप्त क्रांति शिक्षा समिति, वनाचल शिक्षा समिति साहित्य कई संस्थाओं से जुड़कर आप सामाजिक सरोकार के कार्य से जुडी हुई है|
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