पुरे विश्व में खाघ उत्पादन के क्षेत्र में भारत की स्थिति बहुत सुद्रढ़ है| दालों में भारत प्रथम स्थान पर तथा गेहूँ व् चावल के उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है| भारत की कृषि जलवायु स्थिति विविध प्रकार की है तथा यहाँ लगभग 20 विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र है| इसलिए यहां खाघ प्रसंस्करण हेतु पर्याप्त कच्चे मॉल की उपलमब्धता है| हमारे देश में वैज्ञानिकों व् अनुसंधान कर्ताओं की विशाल बौद्धिक सम्पदा है, ज्ञान का प्रसार, बदलती जीवन शैली, तेजी से बढ़ता शहरीकरण,बड़ी संख्या में महिलाओं का नौकरी में आना आदि कुछ ऐसे कारण है जो भारत में खाघ प्रसंस्करण उघोग की सम्भावनाओं को प्रबल करते है| इसी के साथ भारत में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई है तथा भारतीयों के कुल खर्च में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा खाघ उत्पादों पर हो रहे खर्च का है| अत: हम यह कह सकते है कि वोभिन्न खाघो के की तकनिकी पर आधारित उघोगों की भविष्य में फलीभूत होने की अधिक सम्भावना है| वर्त्मन में भारत में प्रतिवर्ष लगभग 21 प्रतिशत अनाज तथा फल अवं सब्जियां नष्ट होते है| जबकि खाधान्न प्रतिवर्ष बढ़ रहा वर्ष 2013-123 में यह 254. 13 मिलियन तन तथा वर्ष 2013-14 में 24.7 मिलियन तन खाघ्न्न उत्पादन हुआ| वर्ष 2014-15 में प्राकृतिक आपदाओं के कारन यह लगभग 3 प्रतिशत कम होकर 254.04 मिलियन तन रहा|
फसलोतर प्रबन्धन एवं खाघ प्रसंस्करण
Post Harvest Management And Food Processing (Hindi)
₹795.00
ISBN | 9788179065839 |
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Name of Authors | Pro. Mamtha Tiwari , Pro. D.K. Singh |
Name of Authors (Hindi) | प्रो. ममता तिवारी , प्रो. डी. के. सिंह |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2016 |
Pages | 172 |
Language | Hindi |
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