73 वे संविधान संशोधन के परिणामस्वरूप पंचायतीराज संस्थाओं में के संस्थागत स्वरुप उनके अधिकार तथा दायित्वों में भारी परिवर्तन आया है| साथ ही समाज के हाशिये पर बैठी पिछड़ी जातियां तथा महिला आरक्षण के प्रावधानों से नेतृत्व का बिलकुल ही नया स्वरुप उभर रहा है| सत्ता और अधिकारों के क्षेत्र में विकेंद्रीकरण के ये सभी प्रयास एक परिवर्तनकारी मोड़ के संकेत डे रहे है| ग्रामीण अंचल की इन संस्थाओं में हजारों हजार महिलाएँ जनप्रतिनिधि में नई आशाएँ और आकाक्षाएं भी जागृत हो रही है| एक नया गैर-परम्परागत नेतृत्व का उदय हो रहा है| महिला नेतृत्व की अपनी अलग पहचान बन रही है| अवधारणा और व्यावहारिक धरातल के बीच गतिरोध के चिन्ह भी विद्यमान | राजनीतिक और आकादमिक अभिजन का अपना कल्पना लोक हैं जबकि यथार्थ के धरातल जो घटित हो रहा है और इस व्यवस्था के परिसंचालन में जो चिन्ह उभर रहे हैं उनका गंभीरता से अध्ययन विश्लेषण इनसे कौसों दूर है| इस पुस्तक में पंचायतीराज के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, कल्पना और यथार्थ महिलाओं और भागीदारी से उपजे प्रश्न तथा त्रणमूल स्तर पर उभरते नेतृत्व जैसे शीर्षकों के अन्तर्गत सन्दर्भगत समस्याओं का विवेचन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है| प्रस्तुत अध्ययन में राजस्थान के साथ - साथ मध्यप्रदेश, बिहार और आंध्रप्रदेश में कार्यरत पंचायतों की वास्तु: स्थिति का लेखा-जोखा है| पंचायती राज की संस्थाओं में हगन रूचि रखने वाले अध्येताओं के लिए सामग्री काफी उपयोगी सिद्ध होगी|
भारत में पंचायती राज
Panchayati Raj In India (Hindi)
₹395.00
ISBN | 8179060578 |
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Name of Authors | Dr. Vedan Sudhir , Arun Chaturvedi , Giriraj Sharma |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. वेदान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी, गिरिराज शर्मा |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2004 |
Pages | 189 |
विद्या भवन रुरल इंसटीट्यूट में राजनीति शास्त्र के पूर्व प्राध्यापक एवं निदेशक भारतीय संविधान के चर्चित प्रसंग ;भारत की विदेश नीति 'बदलते संदर्भ' तथा 'भारतीय संविधान और राजनीति' जैसी पुस्तकों के लेखक 'मूल प्रश्न' पत्रिका संस्थापक संपादक संप्रतिः स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान विद्याभवन उदयपुर|
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