यह पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा उनसे सम्बन्धित महाविद्यालयों के बी,एससी., वनस्पति विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विषय के नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गयी है| इस पुस्तक में आण्विक जैविकी एवं जैव प्रौद्योगिकी जैसे कठिन एवं उन्नत विषय को बहुत ही सहज व सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है| तृतीय तथा संशोधित संस्करण में पाठ्यक्रम में वर्णित सभी विषयों के अलावा नए प्रकार के RNA (non coding RNA, snRNA, snoRNA, SiRNA, miRNA), जीवाणु में दो घटक नियामक प्रणाली, पादप प्रजनक अधिकार, एवं नैनो टेक्नोलोजी इत्यादि विषयों पर नवीन पठन सामग्री उपलब्ध करवायी गयी है, जो इस पुस्तक की उपयोगिता को और बढाती है|
आणविक जैविकी एवं जैव प्रौद्योगिकी
Molecular Biology and Biotechnology (Hindi)
₹295.00
ISBN | 9788179069103 |
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Name of Authors | K.G. Ramawat, Jaya Aroda |
Name of Authors (Hindi) | के.जी. रामावत, जया अरोड़ा |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2021 |
Pages | 474 |
Branch | Science |
प्रो. (डॉ.) किशन जी.रामवत, पूर्व प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपनी पीएच.डी. जोधपुर विश्वविद्यालय से 1978 में जैव प्रौद्योगिकी विषय में प्राप्त कर उसी विश्वविद्यालय में 1979 से सहायक आचार्य के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया| आप 1991 से उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में सह आचार्य रहे और 2001–2004-2012 के रूप में कार्य किया और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी (2003-2004) के रूप में कार्य किया| आपने अपना पोस्टडॉक्टरल अध्ययन 1983–85 तक फ्रांस की University of Tours में किया, और बाद में अतिथि प्रोफेसर (1995,1999,2003,2006,2010) के रूप में फ्रांस की University of Bordeaux,तथा एक शैक्षिक विनिमय कार्यक्रम में 2005 में पोलैंड का दौरा किया| आपके 170 से अधिक शोधपत्र एवं लेख विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं, और अपने जैव प्रौद्योगिकी, औषधीय पौधों, जैव उपापचयजों, जैव सक्रिय अणुओं, हर्बल दवाओं और कई अन्य विषयों पर 40 से अधिक पुस्तकों और संदर्भ कार्यों का संपादन किया है| डॉ. जया अरोड़ा, 2012 से वनस्पति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी, उदयपुर में सहायता प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं| आपने अपनी शिक्षा (एम.एससी. और पीएच.डी) उक्त विभाग से पूर्ण की तथा 2008 CSIR-NET-JRF में उत्तीर्ण किया| आप जैव प्रौद्योगिकी विधियों का उपयोग कर औषधीय पौधों से उपयोगी द्वितीयक उपापचयजों के उत्पादन एवं उक्त विषय के शोध कार्यों से पिछले 13 वर्षों से जुडी हुई हैं| यह कार्य विभिन्न एजेंसियों जैसे U.G.C., C.S.I.R. और D.S.T. दारा वित्त पोषित है| आपके 20 से अधिक शोधपत्र विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं|
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