शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को पढाना एक अति महत्वपूर्ण कौशाल है| कोई शिक्षक कितने अच्छे से विषय को प्रस्तुत करता है यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है| जितना की वह कितने अच्छे से विद्यार्थियों के द्वारा समझा जाता है| शिक्षण सिर्फ सम्प्रेषण करना है| इसके लिए सिर्फ विषय के सम्पूर्ण ज्ञान का होना एवं वर्ग में पढने के अनुभव का होना ही पर्याप्त नहीं है| बल्कि शिक्षण की सफलता शिक्षण में विघमान कुछ प्रमुख विशेषताओं जैसे – मनोवृति, समय-प्रबंधन, संगठन, संवाद, पुनर्निवेश, प्रशन करने तथा पुनरवलोकन जैसे तत्वों के योग का प्रतिफल है| इस लघु पुस्तिका में परिपक्वता का सिखने से संबंध, अधिगम के सिद्धांत जो पूर्व शतक के प्रारम्भ से सिखने की किया में शाश्वत योगदान देते रहे जिसमें पावलाव, गुथरी, हल, थार्नडाइक, स्किनर गैने, कोहलर, जीन पियाजे, ब्रूनर जैसे मनोविज्ञानिकों द्वारा सिखने के सिद्धान्तों का शिक्षण में व्यावहारिक उपयोग से अवगत कराया गया है| वस्तुतः लेखिका छात्रों की मनोवैज्ञानिक सामाजिक तथा आर्थिक भिन्न्ताओं जैसे – परिपक्वता, बुद्धि, लिंग का सीखने से संबंध को दर्शाना चाहती है साथ ही शैक्षिक वातावरण के निर्माण के लिए सीखने में शिक्षक की भूमिका को रेंखाकित किया गया है| किसी भी शिक्षक के जीवन की सबसे उपलब्धि अपने जीवनकाल में ज्यादा से ज्यादा बच्चों के मान में धनात्मक परिवर्तन लाना है| इस लघु पुस्तिका द्वारा हमारा यह प्रयास है कि शिक्षक सीखने के सिद्धांतों का स्मरण कर छात्रों की सफलता में आदर्श गुरु बन सके|
अधिगम
Learning (Hindi)
₹55.00
ISBN | 9788179064009 |
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Name of Authors | Dr. Sarita Menaria |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. सरिता मेनारिया |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2014 |
Pages | 60 |
Language | Hindi |
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