लोकतंत्र में व्यावहारिक स्तर पर कई प्रक्रियाए और गतिविधिया क्रियान्वित होती है| जो उसे समझने का आधार प्रदान करती है| भारतीय लोकतंत्र में ऐसी कई प्रक्रियाए समय-समय पर जनमानस की अभिव्यक्तियों के रूप में प्रस्तुत हुई है, जिनसे न केवल परिवर्तन और सुधार के वाहक के रूप में आपनी भूमिका प्रस्तुत की है. बल्कि जन हितो और आकांक्षाओ के अनुरूप व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए भारतीय राजनीति को नवीन आयाम प्रदान किये है| इन्ही प्रक्रियाओ में से एक आन्दोलन भी है| भारतीय राजनीति को आजादी से पूर्वे और आजादी के बाद से वर्तमान तक आंदोलनों का एक प्रभावी इतिहास रहा है| आंदोलन शब्द प्रयोग सामाजिक आंदोलन और जन आंदोलन के समान अर्थो में करने के साथ-साथ इसकी व्याख्या नये सैद्धांतिक परिपेश में की गई है|प्रस्तुत पुस्तक भारतीय लोकतंत्र और जन आन्दोलनों के सम्बन्ध में विविध लेखको के विचार का संग्रह है| राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र सहित समसामयिक विषयो में रूचि रखने वाले पाठको में आन्दोलन और भारतीय राजनीति में आन्दोलनों की भूमिका की समझ को विकसित करने में यह पुस्तक सहायक रहेगी|
भारतीय लोकतन्त्र और जन आन्दोलन
Indian Democracy And Mass Movement (Hindi)
₹695.00
ISBN | 9788179064658 |
---|---|
Name of Authors | Arun Chaturvedi, Manoj Rajguru |
Name of Authors (Hindi) | सरून चतुर्वेदी, मनोज राजगुरु |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2019 |
Pages | 193 |
Language | Hindi |
अरुण चतुर्वेदी : पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, सम्प्रति विघा भवन उदयपुर से जुड़े है| पुस्तकों का नियमित लेखन और सम्पादन| मानवाधिकार विचार-विमर्श और भारतीय राजनीति एवं विदेश नीति पर लेखन| मनोज राजगुरु : विघा भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष| अनुसूचित जाती, जनजाति और पिछड़े वर्ग (2013) पुस्तक का प्रकाशन| तृणमूल स्तर की राजनीति, दलित एवं पिछड़े समूह से जुडी राजनीति और समस्याओ पर लेखन|
Reviews
There are no reviews yet.