बढ़ते औद्योगिक विकास के फलस्वरूप एक और संसाधनों का दोहन तीव्रता से होना एवं दूसरी और निर्माण प्रक्रिया से बढ़ते प्रदुषण के कारन पर्यावरण अवनयन द्रुत गति से होने से भूमण्डलीय संकट अ खड़ा हुआ है| मानव की बढती उप्भोग्तावादी लालसा के फलस्वरूप पर्यावरण विनाश की चरम सीमा की और अग्रसर है| यह पुस्तक पर्यावरण के अर्थ एवं उसकी विचारधारा को अत्यन्त ही सुबोध भाषा में स्पष्ट करते हुए प्रदुषण से होने वाले अनर्थ तक की व्याख्या प्रस्तुत करती है| इसमे पर्यवार्नीय समस्याओं के निदान के उपायों में छठी इन्दृय के रूप में बुद्धि युक्त एवं चिंतनशील मानव द्वारा व्यक्तिगत, सामूहिक तथा स्थानीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लिए जा रहे प्रयत्नों को प्रस्तुत किया गया है| सात ही इस लेखन में प्रकृति अनुकूल जीवन शैली पर विशेष बल दिया गया है जिससे पर्यावरण के साथ भावनात्मक सम्बन्ध बनाये रखने का विचार सत् बन सके| यह पुस्तक जन साधारण से लेकर स्नातक एवं स्नाकोत्तर विद्यार्थियों, प्रशासक, उद्योगपति, नियोजनकर्त्ता, वकील, न्यायाधीश आदि रुचिशील अध्येत्ताओं एवं जिज्ञासुओं के लिए बड़ी ही उपयोगी सिद्ध होगी|
मानव और जैवमंडल
Human And Biosphere (Hindi)
₹595.00
Name of Authors | Rajmal Lodha, Deepak Maheswari |
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Name of Authors (Hindi) | राजमल लोढ़ा, दीपक महेश्वरी |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 1998 |
Pages | 328 |
डॉ. राजमल लोढ़ा तीन दशक से भी अधिक का अध्यापन एवं शोध अनुभव लिये सिखादियाँ विश्वविद्यालय पर्यावरण अध्ययन केन्द्र, उदयपुर के अध्यक्ष, भूगोल के सह आचार्य एवं जाने मने पर्यावरणविद हैं| डॉ, लोढ़ा की प्रकाशित 16 में से 10 पुसकें पर्यावरण से सम्बन्धित हैं| उनमे से Pesticides and Environment Pollution, Mining and Environmental stress, Environment Strategies आदि प्रमुख हैं| दीपक महेश्वरी उभरते सक्रिय भूगोलवेत्ता एवं पर्यावरणविद हैं| ५ वर्ष से अधिक का अध्यापन अनुभव प्राप्त, रोटरी इन्टरनेशनल एवं ताजी स्तरीय पर्यावरण प्रतियोगिताओं में पुरुस्क्र्ट श्री महेश्वरी वर्तमान में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नाथद्वारा में सह आचार्य के पद कार्यरत हैं|
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