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स्त्री विमर्श और राजेन्द्र यादव

Female Discussion And Rajendra Yadav (Hindi)

450.00

ISBN: 9788179065600
Categories:
ISBN 9788179065600
Name of Authors Dr. Mamta Joshi
Name of Authors (Hindi) डॉ. ममता जोशी
Edition 1st
Book Type Hard Back
Year 2016
Pages 161
Language Hindi

राजेन्द्र यादव ने जब लेखन के लिए कलम उठाई, देश एक संक्रांति के दौर से गुजर रहा था| कितनी चीजें थीं जो टूटना चाह रही थी, कितनी चीजें थीं जो बनाना चाह रही थीं| संयुक्त परिवारों की घुटन से पलायन, शिक्षिक नवयुवकों (युवतियों भी) में आजादी की चाह, दरकते परिवार, रोजगार की तलाश में शहरों को भागते मध्यवर्ग का एकाकीपन और इन सबसे बढ़ कर था लाज - शील और पर्दों के आवरण में लिपटी स्त्री का देहरी से बहर काजर स्वावलम्बी बनाने का प्रयास| समाज की स्त्री के प्रति शंकालु निगाह, सीमाओं से मुक्त होकर घर और समाज को जोड़े रखने की कोशिश करती हुई स्त्री का अंत उसकी कशमकश, टूटने और बनाने की उधेड़बुन झेलते तमाम पत्र राजेन्द्र जी के कथा साहित्य का हिस्सा है| जिस दौर को राजेन्द्र यादव ने अपने उपन्यासों में अभिव्यक्त किया है, उस दौर का समकालीन यथार्थ और उसकी प्रष्ठभूमि में रचे गए पत्रों को पूरी सहानुभूति और निष्पक्षता के साथ पातकों के समक्ष रख सकूँ एसा प्रयास इस पुस्तक में किया गया है|

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