चचनामाह हिंदी और सिन्ध सम्बन्धित प्रथम और प्रामाणिक ऐतिहासिक किताब है| यह मूलतः अरबी भाषा में मोहम्मद बिन कासिम और इराक में हजाज के बिच हुये पत्राचार के आधार पर कासिम के वंशजों द्वारा लिखी गई थी| विद्दन साहित्यकार श्री अली कूफी साहब ने उच्च भावलपुर से आकर सिन्ध में बखर और अरोड़ में यह नुस्खा (हस्तलिखित) काज़ी इसमाइल सकीफी जो मोहम्मद कासिम के वंशज थे से प्राप्त किया इन्होने इस नायब किताब का फारसी में अनुवाद तेरहवीं सदी में किया| ताकि दुनिया इसे पड़कर जान सके और लोक प्रिय हो क्योंकि तब अरबी भाषा से लोग अनभिज्ञ थे| यह अनुवाद निहायत ही अह्त्यात और इमानदारी से अली कूफी साहब ने लिया है जिस पर शक और शुभह की कोई गुंजाईश नहीं रह जाती| भला हो एलफिंस्टन साहब का जिन्होनें इसको पढ़कर एक ऐतिहासिक किताब का दर्जा दिलाया जिससे इसका महत्त्व अबौत बढ़ गया| इस से पहले लोग चचनामाह को अलिफ़ लैला का किस्सा मानते रहे| तत्पश्चात महँ सिन्धी विद्दन इतिहासकार और शायर मिर्जा कालीच बेग ने सन १९०० ईसवी में इसका अंग्रेजी और सिन्धी भाषा में अनुवाद किया| इसी संदर्भ में गोबिंद खुश्लानी साहब ने भी इन दोनों भाषाओँ में सन २००६ में चचनामाह का अनुवाद किया है जो उल्लेखनीय है| परन्तु आज की पीडी इन तीनों भाषाओँ से अनभिज्ञ हहै, इसलिए इसके हिंदी अनुवाद की कमी बराबर महसूस की जा रही थी क्योंकि हिंदी ही एक मात्र इसी भाषा है जिससे पढ़कर आज की नौजवान पीढ़ी और बुजुर्ग अपनी जड़ों को जन सकेंगे| यह एक बहुत ही रोचक किताब जिसे पढ़कर पुरे हिन्दुस्थान में बसा हुआ सिन्धी वर्ग अपनी ऐतिहास में रूचि रखने वालें के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण और नायब किताब सिद्ध होगी|

चचनामा सिंध पर अरबों के हमले का वृतांत
Chahnamah: The History Of Attack On Arabs Over Sindh (Hindi)
₹600.00
ISBN | 9788179064542 |
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Name of Authors | Harish Chandra Talreja |
Name of Authors (Hindi) | हरीश चन्द्र तलरेजा |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2019 |
Pages | 243 |
Language | Hindi |
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