“विविधता में एकता” भारत में सक्रिय गतिशील पवित्र संवधिन की पहचान है| मूल भारतीय आदिवासी समुदाय की प्राकृतिक प्रथागत रीती-रिवाज, समृद्ध संस्कृति और अनोखी जीवनचर्या एक बेमिसाल तमगा प्रदान करती है| भारत में आदिवादी समुदाय जिन क्षेत्रों में निवास करते है, वह विधिक रूप में अनुसूचित/जनजाति क्षेत्र के नाम से जाना जाता है| प्रस्तुत पुस्तक भारतीय संविधान की अनुसूची पांच के सवैधानिक प्रावधानों को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने और आदिवासी समुदाय की समृद्ध प्राकृतिक विरासत को यथास्थिति में बनाये रखने के लिए संवैधानिक बाध्यता के कारण सृजित अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 पर आधारित है जो की एक विशेष अधिनियम है, जिसका निर्माण अनुसूचित क्षेत्रों में निवासित आदिवासियों के प्राकृतिक प्रथागत परम्पराओं और रीती – रिवाजों को संरक्षित कर मूल अवस्था में बनाये रखने के लिए किया गया है| पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 को संक्षेप में पेसा अधिनियम, 1996 कहा जाता है| इसे अनुसूचित क्षेत्र का संविधान भी कहते हैं| प्रस्तुत पुस्तक में पेसा अधिनियम, 1996 और माननीय उच्चतम न्यायालयों के महत्वपूर्ण निर्माण का संविधान की अनुसूची पांच के प्रावधान वाले राज्यों विशेषकर राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य में विधिक विश्लेषण, परिक्षण एवं मूल्याकन करने का प्रयास किया गया है| इस पुस्तक में कठिन कानूनी भाषा को सभी वर्ग के पाठकों को ध्यान में रखकर सरल व् सुबोध रखने की कोशिश की गई है| आशा है,. भावी विददान पाठकों ले लिए उपयोगी होने के सात – सात इनके कानूनी जटिलताओं को भी हल करने में सार्थक साबित होगी| समय उचित वही है जो न्याय अविलम्ब प्रदान करे|
पेसा अधिनियम, 1996 राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्रों के संदर्भ में एक आधुनिक विधिक विश्लेषण
The PESA Act, 1996 A Modern Legal Analysis with respect to the Scheduled Areas of Rajasthan (Hindi)
₹150.00
ISBN | 9788179068687 |
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Name of Authors | Devnarayan Meena |
Name of Authors (Hindi) | देवनारायण मीना |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2021 |
Pages | 160 |
Language | Hindi |
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक एडवोकेट देवनारायण मीना ने एम.कॉम और एलएल.एम.की दिग्रीयाँ मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से प्राप्त की है| यूजीसी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा विधि विषय से तथा वर्तमान में विधि विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से विधि शोधार्थी के रूप में “बाल संरक्षण संस्थाओं में आवासित किशोरावस्था के अनाथों से संबंधित विधिक अधिकार एवं दायित्व : उदयपुर (राजस्थान) जिले के संदर्भ में” शोध विषय पर शोध कार्य कर रहे हैं| विधि क्षेत्र में ज्वलंत विषयों पर आपके कई लेख पात्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं| लेखक विधि महाविद्यालय, मोहनलाल सिखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर में अतिथि वक्ता एवं जिला सत्र न्यायालय, राजस्थान उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत व्यवसाय में भी सक्रिय हैं तथा समाज सेवा और विधिक सेवा में सहयोग करते आ रहे हैं और त्वरित न्याय के लिए सदैव अग्रसर रहते हैं|
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