आदिवासियों की सांस्कृतिक धरोहर विल्शन है, यथा - जीवन चक्र, जन्म से लेकर म्रत्यु तक मेलें, त्योहार एवं धार्मिक पर्वों पर अनेक रीती - रिवाज होते है, जिन्हें ये पूर्ण मनोयोग से मानते है| ये लोग अपनी दयनीय आर्थिक स्थिति होने के उपरान्त भी कही से भी कर्ज लेकर रीती - रिवाजों एवं प्रचलित प्रथाओं को पूरा करते है| इनके रीती - रिवाजों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए ही यह शोध अध्ययन किया गया है| इस शोध अध्ययन में दक्षिणी राजस्थान के आदिवासियों के रीती - रिवाजों के अध्ययन के साथ ही, इनके सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव तथा रीती - रिवाजों में होने वाले परिवर्तनों का भी अध्ययन किया गया है| अध्ययन में पाया गया है की यातायात के साधनों के विकास, शिक्षा के प्रसार व आदिवासियों के अन्य उच्च समाज के व्यक्तिओं के संपर्क में आने एवं सर्कार की योजनाओं से लाभान्वित होने के कारन इनके रीती - रिवाजों में परिवर्तन हो रहा है| ये मितव्ययि बन रहे है तथा इनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ हो रही है| यह अध्ययन आदिवासियों की संस्कृतिक धरोहर को संरक्षण प्रधान करने एवं इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगा|
आदिवासियों के रीती - रिवाजों का सामाजिक - आर्थिक अध्ययन
Socio – Economic Study Of Rituals Of Tribals (Hindi)
₹695.00
ISBN | 9788179066683 |
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Name of Authors | Dr. Sonal Raj Kothari |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. सोनल राज कोठारी |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2019 |
Pages | 243 |
Language | Hindi |
डॉ. सोनल राज कोठारी मूलतः चितौडगढ़ जिले की निम्बाहेड़ा तहसील के कनेर गावं की मूल निवासी है| आपने उच्च माध्यमिक परीक्षा में चित्तौडगढ़ किले की मेरिट में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया| आपने कला वर्ग में स्नातक व स्नातकोत्तर की परीक्षा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से उत्तीर्ण की तथा विश्वविद्यालय की मेरिट में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया| आपने नेट व स्लेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है| आपने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर व भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, उदयपुर में आर्थशास्त्र विषय में अध्य्यापन का कार्य किया है| वर्तमान में आप सांख्यिकी अधिकारी के पद पर कार्यालय ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी, पंचायत समिति कुराबड़, जिला - उदयपुर में कार्यरत है|
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