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रघुनन्दन त्रिवेदी की कहानियां और मध्यवर्ग का यथार्थ

Raghunandhan Trivedi Ki Kahaniya Or Madhyvarg Ka Yatharth

895.00

ISBN: 9788179068427
Categories:
ISBN 9788179068427
Name of Authors Dr. Kantilal Yadav
Name of Authors (Hindi) डॉ. कांतिलाल यादव
Edition 1st
Book Type Hard Back
Year 2020
Language Hindi

राजस्थान में कहानी लेखन की समृद्ध परंपरा रही है| इसी परंपरा में रघुनंदन त्रिवेदी का महत्वपूर्ण स्थान है| रघुनंदन त्रिवेदी हिन्दी के विशिष्ट कहानीकारों में अपना स्थान बनाए हुए हैं| उन्होंने अपनी कहानियों में सर्वथा शिल्प-वैशिष्ट्य प्रदान किया है| इनकी कहानियाँ पढने वालापाठक एक नया रूप प्राप्त कर आश्चर्य चकित हुए बिना नहीं रह सकता, क्योंकि ये कहानियाँ एक नया कहानी जगत खड़ा करती है| इंकी सभी कहानियों में पाठक या श्रोता पंत्ति – पंत्ति में एक गहरा लेखकीय सरोकार और तीखी ललक मुहँ बोलती पता है| रघुनंदन त्रिवेदी की विशेषता कथा – भूमि के चुनाव से लेकर उसके भाषा-संस्कार की सर्वथा निराली ‘टोन’ में देखने को मिलती है, जो अन्य कहानीकारों से अलग पहचान बनाती है| उनकी कहानियाँ कल्पना की उपज नहीं होती बल्कि वास्तविक यथार्थवादी होती है | रघु जी एक मध्यवर्गीय कहानीकार है| वे चाहते थे कि समाज की हकीकतें कहानी के माध्यम से जन – जन तक पहुंचे, किन्तु वे कहानी में कोमलता खत्म न हो जाए इस बात का विशेष ख्याल रखते थे| उन्होंने भले ही छोटी कहानिया अधिक लिखी किन्तु सारगर्भित, मूल्यवान, चमकदार तथा कला की द्रष्टि से बेजोड़ कही जाती है| आज के इस युग में कहानियाँ भले ही लघु हों किन्तु उसका उद्देश्य, शिक्षा, लक्ष्य बड़ा हो तो ऐसी कहानियाँ युग के अनुकूल सार्थक तथा प्रभावशाली कहलाएंगी| रघुजी के मात्र तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं - (1) यह ट्रेजेडी क्यों हुई? (1984), (2) वह लड़की अभी जिंदा है (1994) और (3) हमारे शहर की भावी लोक तथा (2004) में| उनकी कहानियों में यह विशेषता देखने को मिलाती है की कहानी के अन्तिम वाक्य पूरी कहानी को बयां करते हैं| उनकी भाषा का अपना अलग संसार है यही भाषा संस्कार उनकी विशिष्ट पहचान बनता है| उन्होंने कम समय में कम कहानियाँ लिखी है दुर्भाग्य की बात है की ऐसे प्रतिभा संपन्न लघु कहानीकार का असामयिक निधन हो गया किन्तु गुणवत्ता की द्रष्टि से उनकी लघु कहानियाँ हिन्दी कथा साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती है|

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