किसी भी देश की सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माण में उस देश की गरिमामयी परम्पराएँ, भौगोलिक स्थिति एवं पर्यावरण की महतवपूर्ण भूमिका होती है| भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र उसकी उदारता , सहिष्णुता और समस्त वसुधा को एक कुटुम्ब मानने में हर| ‘एक सदविप्रा बहुधा वदन्ति’, एक सत्य को विद्दन अनेक प्रकार से व्याख्यायित करते है| यही विचारधारा भारतीय संस्कृति का स्पंदन रही है और विभिन्नता में एकता तथा असत्य में सत्य को खोजती है| भारतीय संस्कृति पतितपावनी गंगा की तरह पवित्र प्रवाही, सागर की तरह विशाल और हिमालय की तरह उच्च और उदात्त है| ‘आ नो भद्राः क्रतावों यंतु विश्वतः प्रत्येक दिशा से शुभ एवं सुन्दर विचार हमें प्राप्त हों| यही इसकी गुण – ग्राहकता प्रकृति एवं प्रवृति में अनुकूल हो जाता है| भारतीय समाज के विकासक्रम में यहाँ की संस्कृतिक = समन्वय की भावधारा उल्लेखनीय रही है| पश्चिमी प्रभाव के कारन देश की सभ्यता एवं संस्कृति में कई नविन बातों का समावेश हुआ है, लेखिन मूल रूप- स्वरुप में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुए| स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में अपना संविधान लागू हुआ| समाज के पिछड़े वर्ग को मख्य धारा में लाने के लिए संविधान में प्रावधान रखे गये, नियम – उपनियम, कानून बनें और देश के पिछडे वर्ग के लिए कल्याणीकारी योजनाओं के माध्यम से सुविधाएँ, प्रोत्साहन रखे गये| इनसे इस वर्ग में क्रांतिकारी बदलाव आये और आज वे मुख्य धारा से जुड़े गये है| किसी भी देश एवं समाज का सर्वाधिक प्रभावी वर्ग ‘युवा वर्ग’ होते है. वह देश और समाज का सुनहरा कल होता है, भविष्य होता है, भावी सामाजिक संरचना का आधार होता है|
भारत में आधुनिकीकरण और दलित चेतना
Modernization And Dalit Consciousness In India
₹495.00
ISBN | 9788179065808 |
---|---|
Name of Authors | Arun Chaturvedi , Manoj Rajguru |
Name of Authors (Hindi) | अरुण चतुर्वेदी , मनोज राजगुरु |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2019 |
Pages | 140 |
Language | Hindi |
श्रीमती रंजना ओझा 1983 से अपने अन्तिम समय (2013) तक उच्च शिक्षा विभाग में समाज शास्त्र विषय की सहायक प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत रही| आपने लगभग 30 वर्षो तक महाविद्यालय में समाजशास्त्र अध्ययन – अध्यापन किया | डॉ. शीला ओझा राजनीति विज्ञान के अध्ययन – अध्यापन में विगत 33 वर्षो से जुडी हुई हैं| सन 1989 में विक्रम विश्व विद्यालय, उज्जैन से ‘भारतीय विदेशी निति’ विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त करने के उपरांत आप भारतीय विदेश निति के विभिन्न पक्षों के शोध से अनवरत संबंद्ध रही है| विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आपको चार शोध परियोजनाओं हेतु वित्तीय सहयोग प्रदान किया| मध्य प्रदेश राजनीति, पंचायत राज, मानव अधिकार और महिला अध्ययन से जुड़े विभिन्न विषयों पर आपने महत्वपूर्ण योगदान दिया है| समय – समय पर विभिन्न शोध ग्रंथो एवं शोध-पत्रिकाओं में आपके आलेख प्रकाशित होए रहे हैं| सन 2002 में अखिल भारतीय शोध साहित्य संस्थान ने आपके ‘महादेवी स्मृति सम्मान’ प्रदान किया है| सन 2004 में आपने पाकिस्तान की सद्भावना यात्रा की एवं 2005 से 2009 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के सात एसोसियेट फैलो के रूप में जुडी रही| आपने 2015 में ‘शितयुद्धोत्र कालीन भारतीय विदेश निति: एक विश्लेषण (1991 – 2009) विषय पर डी. लिट् की उपाधि प्राप्त की| वर्तमान में डॉ. शिला ओझा, प्रोफेसर एवं प्रभारी आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, शासकीय महाविद्यालय, नागदा (मध्य प्रदेश) में कार्यरत हैं|
Reviews
There are no reviews yet.