प्रस्तुत पुस्तक भारत में नगरीय व शहरीय विकास में स्थानीय निकायों की भूमिका को आधार बनाकर लिखी गयी है| स्वतन्त्रता पूर्व भारत गाँवों का देश था, परन्तु विकास की वेला के बाद गाँवों से शहरों- नगरों व महानगरों की तरफ प्रवास ने नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि की| बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए सड़क, आवास, शिक्षा व स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में सामने आये| वहीँ दूसरी ओर नगरों का विकास इस प्रकार किया जाये की दीर्घकाल में विशाल जनसंख्या का भार वहन करने के लिये नागर तैयार रहे| चौतरफे विकास में कृषि, उद्योग, आवासीय व स्थानीय समस्याओं को दूर करने के लिये स्थानीय निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी| प्रस्तुत पुस्तक में भारत, राजस्थान राज्य तथा उदयपुर नगर में स्थानीय निकायों के महत्त्व व भूमिका को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है|
भारत में स्थानीय निकाय
Local Government Bodies In India (Hindi)
₹695.00
ISBN | 9788179063040 |
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Name of Authors | Sanjiv Rajpurohit |
Name of Authors (Hindi) | संजीव राजपुरोहित |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 2012 |
Pages | 172 |
डॉ. संजीव राजपुरोहित वर्तमान में जनार्दन राय नागर, राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड) विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं| इन्हें अध्यापन, प्रशासनिक कार्यों का 15 वर्षो से अधिक अनुभव है| देश भर में कई पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेखों का प्रकाशन हो चूका है, राजस्थान आर्थिक परिषद के आजीवन सदस्य है तथा अन्य कई परिषदों से इनका सदा जुडाव रहा है| अपने कर्तव्य के अतिरिक्त, सामाजिक व राजनीतिक दायित्वों को पूर्ण करने में इन्होंने सदैव अपनी निष्ठा दिखाई है| अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर (गोल्ड मेडलिस्ट) व पीएच.डी. की उपाधि इन्होंने जनार्दन राय राजस्थान विद्यापीठ से प्राप्त की है| इनका रुचिकर क्षेत्र कृषि, श्रम अर्थशास्त्र व राजनीतिक अर्थशास्त्र है|
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