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जावर का इतिहास [स्तापत्य एवं जस्ता प्रगलन]

History Of Zavar [Stagnation And Zinc Smelting] (Hindi)

450.00

ISBN: 9788179065488
Categories:
ISBN 9788179065488
Name of Authors Arvind Kumar
Name of Authors (Hindi) अरविन्द कुमार
Edition 1st
Book Type Hard Back
Year 2019
Pages 221
Language Hindi

जावर मूलतः खनन गतिविधियों पर आधारित एक औघोगिक नगर रहा है| यहाँ गैलेना (सीसा एवं चाँदी का खनिज) एवं स्फेलेराइट (जस्ता का खनिज) प्रचुरता में पाये जाते है| यहाँ की खानों से लगभग 3000 वर्सो से खनिज निकाल जा रहा है| फ्रीस्तोन महोदय के अनुसार जावर में 13वीं से 18वीं सदी के दौरान लगभग एक लाख तन जस्ता का उत्पादन किया गया| उत्पादित धातु के एक बड़े भाग को यूरोपीय देशों में निर्यात किया गया| यहाँ इसकों तांबा के साथ मिलाकर पीतल बनाया गया|पीतल में जब सता की मात्र 40 से 45 प्रतिशत तक मिलाया जाता था तब यह स्वर्ण की भांति चमकने लगता था| शायद हमारे आख्याण में परस पत्थर से स्वर्ण बनाने की चर्चा इसी रूप में की गयी हो| तैयार पीतल से औघोगिक क्रांति के दौरान वहां बड़ी - बड़ी मशीने बनायीं गयी| इस प्रकार यूरोप की औघोगिकक्रांति में जावर का एक अहम् योगदान रहा है| प्रस्तुत पुस्तक छः अध्यायों में समाहित की गयी है| अध्याय का विभाजन इस प्रकार किया गया है की क्षेत्र के संभवतः सभी इतिहासिक पक्षों को शामिल किया जा सके| इससे अंतर्गत भौगोलिक एवं सामाजिक आयाम, शिलालेख, मंदिर व् मूर्तियाँ, खनन व प्रगलन, क्रमबद्ध ऐतिहासिक घटनाएँ एवं विभिन्न महाराणाओं से जावर का संबंध एवं जावर का प्रगलन से क्षेत्र में अहम योगदान, आर्थिक व् साहित्यक योगदान को समाहित किया गया है| पुस्तक के अंत में जावर से जुड़े आख्यानों एवं औदिच्य ब्रह्मण के पोथी का कुछ अंश परिशिष्ट के रूप में दिया गया है|

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