विश्वभर में आर्थिक विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उद्यमिता के महत्त्व को समान रूप से स्वीकार किया जा चूका है| उद्यमिता को विकसित करने के लिए विभिन्न देशों में विविध प्रयास जारी हैं| विकासशील देशों के संदर्भ में यह और भी अधिक महत्त्व का क्षेत्र है क्योकि इन देशों की विशिष्ट सामाजिक – आर्थिक परिस्थितियां उद्यमिता – विकास की प्रक्रिया में अनेक बाधाएं उपस्थित करती है| ऐसी में दुर्गम जनजाति पिछडे एवं अर्धविकसित क्षेत्रों को देश के अन्य विकसित के अवसर प्रदान किया जाना आवश्यक हो जाता है| परन्तु इन क्षेत्रों का अविकसित आधारभूत ढांचा विकास प्रक्रिया को अवरुद्ध करता है, जिसे विकसित करने के लिये सरकार के निरन्तर नियोजित प्रयास जारी है| लेकिन इन सुविधाओं एवं अवसरों का लाभ वृहत समाज के उद्यमी ही प्राप्त कर पते है, क्योंकि विशिष्ट जनजातीय – प्रकृति एवं अर्धविकसित क्षेत्रों की विशेषताओं जैसे अनेक कारणों से इन क्षेत्रों की मूल निवासी विकास प्रक्रिया अव, उसके लाभों में सक्रिय भागीदारी नहीं निभा पात्र| फलस्वरूप जनजातीय लोगों की सामाजिक – आर्थिक दशा निरन्तर जर्जर होती जा रही है| ऐसे हालात में उद्यमिता जनजातियों के लिये नवीन एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है| उद्यमिता – विकास के द्वारा जनजातियों को देश की मुख्य धरा के सात एकीकृत किया जा सकता है| यह अध्ययन इसी परिप्रेक्ष्य में कुछ नवीन तथ्यों की खोज का एक अनुभाविक अनुसंधनात्मक प्रयास है| देश के जनजातीय पिछडे एवं अर्धविकसित क्षेत्रों के निवासियों में उद्यमिता – विकास हेतु लेखक द्वारा एक ‘उद्यमिता विकास मॉडल विकसित किया गया है| लेखक का विश्वाश है की इस मॉडल के विभिन्न चरणों को सही रूप से लागू किया जाकर उद्यमिता को शीघ्र एवं सहज रूप से विकसित किया जाना संभव है, जिससे संतुलित क्षेत्रीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके| पुस्तक में कई महत्वपूर्ण एवं व्यवहारिक सुझाव दिए गए है| यह पुस्तक सभावित (Potential) नए अव, कार्यरत उद्यमियों, नियोजन – कर्ताओं, सरकार, उद्यमिता – विकास से जुडी विपत्ति एवं गैर – वित्तीय संस्थाओं और विश्वविद्यालयी छात्रों के लिए अत्यन्त उपयोगी साबित होगी| पुस्तक को सरल, स्पष्ट एवं बोधगम्य भाषा में प्रस्तुत करने को प्रयास किया गया है|
जनजातीय उद्यमिता का विकास
Entrepreneurship Development Among Tribals (Hindi)
₹295.00
ISBN | 8186231064 |
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Name of Authors | Dr. Rakesh Bhattad |
Name of Authors (Hindi) | डॉ. राकेश भट्टड |
Edition | 1st |
Book Type | Hard Back |
Year | 1995 |
Pages | 214 |
Language | Hindi |
डॉ. राकेश भट्टड (1961) ने सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर से वर्ष 1982 में स्वयंपाठी छात्र के रूप में एम कॉम (व्यवसाय – प्रशासन) परीक्षा में प्रथम स्थान एवं स्वर्णपदक प्राप्त किया| आप 11 वर्षो से विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में व्यवसाय – प्रशासन विषय का अध्यापन कार्य कर रहे हैं| अध्ययन एवं शोध में गहरी रूचि होने से आप विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं एवं सेमिनारों में भाग लेते रहे हैं| मा. ला वर्मा आदिम जाती शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रायोजित एक परियोजना पर भी आप कार्य कर चुके हैं| विभिन्न सरकारी तथा गैर – सरकारी संस्थाओं द्वारा समय समय पर शिक्षित बेरोजगारों और महिलाओं में उद्यमिता जागृति एवं विकास हेतु आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में आपने कई प्रसार – भाषण दिए हैं| राष्ट्रीय स्तर की पत्र – पत्रिकाओं में आपके शोध – पत्र प्रकाशित हो चुके है| जनजातीय – विकास, संगठनात्मक व्यवहार एवं प्रबन्ध आपकी रूचि के क्षेत्र हैं|
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