ऊर्जा, पारिस्थितिकी विज्ञान एवं पर्यावरण एक-दूसरे से इस तरह से जुड़े हैं, की उनकी सीमा निर्धारण सीमा निर्धारण करना एवं उनका विभाजन करना अत्यन्त कठिन है| इन सभी तत्वों का हमारे जीवन के प्रत्येक घटक से प्रत्यज्ञ सम्बन्ध है| वर्तमान में में ऊर्जा के अनावश्यक एवं अनुचित उपयोग से पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पढ़ा है| इसके फलसरूप पारिस्थितिकी असंतुलन एवं पर्यावरण प्रदूषण का दानव आज अपनी बाहें फैलाता जा रहा है| तथा मानव जीवन को विनाश की तरफ ले जा रहा है| वैज्ञानिक तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी ने जहा मानव जीवन को हर प्रकार की सुख सुविधा प्रदान की है वही पर्यावरण प्रदूषण जीवजगत के लिए संकट का कारन बन गया है| इस संदर्भ में आज यह अहम आवश्यकता हो गई है की प्रत्येक व्यक्ति को इससे सम्बन्धित ज्ञान होना चाहिये| ऊर्जा, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण की उपयोगिताओं को मध्यनजर रखकर यह पुस्तक इन्जीनियरिंग डिग्री एवं डिप्लोमा के विद्यार्थियों के लिए तकनीकी द्रष्टिकोण से समुचित जानकारी उपलब्ध करने हेतु लिखी है| प्रस्तुत पुस्तक में पर्यावरण एवं इससे सम्बन्धित प्रदूषण समस्यायें पारिस्थितिकी एवं इसके विभिन्न घटक, ऊर्जा एवं इसके विभिन्न स्त्रोत एवं ऊर्जा, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी का आपसी सम्बन्ध का विस्तार से विश्लेषण किया गया है|
ऊर्जा पारिस्थितिकी विज्ञान एवं पर्यावरण
Energy, Ecology & Environment (Hindi)
₹80.00
ISBN | 8186231080 |
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Name of Authors | A.N. Mathur, N.S. Rathour, V.K. Vijay |
Name of Authors (Hindi) | ए. एन. माथुर, एन.एस. राठौर, वी.के. विजय |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 1995 |
Pages | 182 |
Language | Hindi |
प्रो. ए.एन. माथुर: वर्तमान में प्रो, ए.एन. माथुर, नवीकरणीयऊर्जा केन्द्र, प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियान्त्रिकी महाविद्यालय उदयपुर में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है| अपने जोधपुर विश्वविद्यालय से बी.ई. एवं भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, कानपुर से एम.टेक. की उपाधि प्राप्त की है| आप ऊर्जा, पर्यावरण एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में लगभग 100 शोध पत्र एवं 11 पुस्तकें लिख चुके है| तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए आपने “अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत” “पर्यावरण शिक्षा”, अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत – सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक” नामक पुस्तक भी लिखी है| प्रो. माथुर देश-विदेश के कई विश्व विद्यालयों में पत्र वाचन हेतु आमन्त्रित किये जा चुके है| प्रो. एन.एस.राठौड़: प्रो.एन.एस. राठौड़ नवीकरणीय ऊर्जा केन्द्र, प्रौद्योगिकी एवं कृषि अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर में सह्प्रध्यापक के पद पर कार्यरत है| आपने उदयपुर बी.ई. से एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से एम.टेक. की उपाधि अर्जित की है| आपने अब तक 56 शोध पत्र एवं 9 पुस्तकें लिखी है| इनकी प्रमुख पुस्तकें बायोगैस उत्पादन, उपयोग एवं प्रबन्ध, अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत, नवीकरणीय ऊर्जा एवं पर्यावरण तथा पर्यावरण शिक्षा आदि है| प्रो.वी.के. विजय: प्रो.वी.के. विजय, नवीकरणीय ऊर्जा क्रन्द्र, उदयपुर में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है| आपने राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर से एम. ई. की उपाधि स्वर्ण पदक के सात प्राप्त की हैं| आपके ऊर्जा, ग्राम विकास एवं कृषि, अभियान्त्रिकी तथा बायोगैस क्षेत्र में 25 शोध पत्र व् लेख देश विदेश की पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है| आपने “बायोगैस विज्ञान” एवं “पर्यावरण विज्ञान” नामक पुस्तक भी लिखी है|
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