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पर्यावरण एवं सामाजिक क्षेत्र का अर्थशास्त्र

Economics Of Environment And Social Sector (Hindi)

325.00

ISBN: 9788179066775
ISBN 9788179066775
Name of Authors Dr. Rashim Jayshwal , Dr. Rupam Chordiya
Name of Authors (Hindi) डॉ. रश्मि जायसवाल , डॉ. रूपम चोर्डीया
Edition 1st
Book Type Paper Back
Year 2018
Pages 234
Language Hindi
University MLSU
Branch Arts
Stream M.A.

पर्यावरण व् सामाजिक क्षेत्र का अर्थशास्त्र" (Economics of Environmental ans Social Sector) पुस्तक आपके समक्ष करते हुए हमें अत्यन्त हर्ष है| यह पुस्तक एम. ए. के विद्यार्थियों हेतु लिखी गई है| इस पुस्तक में यथासंभव प्राप्त सामग्री का यथास्थान उपयोग किया गया है| इस पुस्तक में न केवल कल्याणवादी अर्थशास्त्र व् पर्यावरण प्रदुषण के बारे बताया गया है बल्कि आर्थिक वृद्धि में शिक्षा व स्वास्थ्य का महत्त्व भी बतलाने का प्रयास किया गया है| प्रस्तुत पुस्तक में सरल भाषा शैली का प्रयोग किया गया है| आत्म विश्लेषण के लिए प्रत्येक अध्ययन के अंत में अति लघुत्तरात्मक, लघुत्तरात्मक एवं निबंधात्मक प्रश्न दिए गए है| हमें विश्वाश है की यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी| पुस्तक में विद्यार्थियों की सुविधा हेउ तकनीकी शब्दों की अंग्रेजी शब्दावली का प्रयोग किया गया है|

डॉ. रमिश जायसवाल, वर्तमान समय में मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कला संकाय के अर्थशास्त्र विभाग में एक अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्यरत है| आपने इसी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. व पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है एवं एम.बी.ए. (एच.आर.) की उपाधि IGNOU, दिल्ली से प्राप्त की है| आपको सत्रह वर्ष का शेक्षणिक अनुभव प्राप्त है तथा पैसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में 3 वर्ष से भी कार्यरत है| अपने UGC से प्राप्त प्रोजेक्ट में सहअन्वेषक के रूप में भी कार्य किया है| अपने कई अनुसंधान पत्र विभिन्न राष्ट्रीय व् अंतराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में प्रस्तुत हुए है एवं लगातार उच्च स्तर के राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं| डॉ. रूपम चोर्डिया ने मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र विषय में एम.ए. व पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है| आपके पास इसी विश्वविद्यालय का एक अच्छा शैक्षिक व् अनुसंधान अनुभव प्राप्त है| आप पैसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में 3 वर्ष से भी कार्यरत है| अपने UGC से प्राप्त प्रोजेक्ट में सह-अन्वेषक के रूप में कार्य किया| आपने कई अनुसंधान पत्र विभिन्न राष्ट्रीय व् अंतराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में प्रस्तुत कर लगातार उच्च स्तर के राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित होते रहे हैं|

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