यह पुस्तक मूलतः वैश्वीकरण के पश्च्यात हुए भारतीय राजनीतिक बदलावों का विश्लेषण है| यह चर्चा 1990 के बाद के काल खण्ड की है| यह समय क्यों निर्धारित की गई, इसका स्पष्टीकरण आवश्यक है| वैसे ऐसा नहीं हैं की विभिन्न काल खण्डों का विस्तार 1990 के काल खण्ड में नजर नहीं आता किन्तु मुख्य प्रवृतियां इस काल खण्ड की अलग है, और उसी की पहचान से यह विश्लेषण जुड़ा है| भारतीय संदर्भ में यह बात विशेष रूप से समझने की आवश्यकता है, क्योंकि स्वतन्त्रता के पश्च्यात सामाजिक बदलाव और प्रक्रियाओं के संदर्भ में दो वर्गों का उदय विशेष रूप से देखा जा सकता है| पहला है कृषक समूह, और दूसरा मध्यम वर्ग| भारतीय राजनीति में दलित और वंचितों की भूमिका के प्रति भी एक समझ, इस काल खण्ड की सही समझ के लिये आवश्यक है, क्योंकि ये समूह न केवल अपनी पहचान के लिये संघर्षरत है, वरन भागीदारी के लिए भी उद्देलित है| भारतीय राजनीती में धार्मिक संगठन विशेषकर धर्म प्रतिष्ठान अपनी सक्रियता और भावनात्मक राजनीती के लिये अधिक सक्रिय रहे है| लोकतन्त्र, विकास और मानवाधिकार पर नये सिरे से बहस की आवश्यकता है और स्वयं राज्य के सिकुडते कार्य उसकी उपयोगिता पर ही प्रश्न चिन्ह लगाते हैं| प्रविधि अधिक समानता वादी हो इन सब प्रश्नों पर विचार करती यह पुस्तक एक नये विमर्श की तैयारी है|
भारतीय राजनीति एक विमर्श
Indian Politics A Discussion (Hindi)
₹495.00
ISBN | 9788179067994 |
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Name of Authors | Arun Chaturvedi |
Name of Authors (Hindi) | अरुण चतुर्वेदी |
Edition | 1st |
Book Type | Paper Back |
Year | 2019 |
Pages | 175 |
Language | Hindi |
University | MLSU |
Branch | Arts |
Stream | M.A. |
अरुण चतुर्वेदी, सुखाड़िया विश्व विद्यालय, उदयपुर में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे, लहभग 40 वर्ष तक राजनीति विज्ञान के अध्यापन से जुड़े रहे हैं| अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, भारतीय विदेशनीति, मानवाधिकार और त्रण मूल स्तरीय राजनीती पर शोध और लेखन प्रमुख रहा है| प्रमुख प्रकाशनों में “डिप्लोमेटिक लोज इन कम्टम्परेटरी इंटरनेशनल रिलेशन्स: इंडियन थ्योरी एण्ड प्रैक्टिस”, साउथ एशियन स्टेट्स एंड सी लोंज”, “नये राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून”, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय विधि”, “इंडियन फोरेंस पालिसी इन पोस्ट कोल्डवार” (सम्पादित), “भारत में मानवाधिकार” (सम्पादित), “त्रण मुलस्तर पर प्रजातान्त्रिक प्रयोग” (सहलेखन), “भारत में जनतान्त्रिक आन्दोलन” (सम्पादिक), “एलिफिस्टन और मैकाले तथा भारतीय शिक्षा विमर्श” (सम्पादित) प्रमुख प्रकाशन हैं| आपका कई शोध संस्थाओं से सम्बन्ध रहा है|
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